विशेष शिकायतों में जांच
आयोग द्वारा, अनुसूचित जनजातियों के अधिकारों तथा सुरक्षणों के वंचन के बारे में, विशिष्ट शिकायतों की जांच करना अपेक्षित है । आयोग को इस कार्य के प्रभावी एवं दक्षतापूर्ण निष्पादन के लिए, आयोग अनुसूचित जनजाति के सदस्यों से यह जानना चाहेगा कि उनकी शिकायत में जांच करना कहां तक सहायक है यदि वे अपनी शिकायत को सहायक दस्तावेजों से समर्थवान बनाते हैं और अधिनियम और नियमों के उन सुसंगत प्रावधानों को उद्धृत करते हैं जिनका उल्लंघन हुआ है।
आयोग के समक्ष शिकायतें प्रस्तुत करते समय निम्नलिखित पहलूओं को ध्यान में रखा जाएः-
अत्याचार के मामलों में जाचं
अनुसूचित जनजाति से संबंधित व्यक्ति के विरूद्ध अत्याचार की किसी घटना के बारे में आयोग में जैसे ही सूचना प्राप्त होती है, आयोग, घटना तथा जिला प्रशासन द्वारा की गई कार्रवाई का ब्यौरा मंगवाने के लिए, क़ानून लागू करने वाली ऐजेन्सी तथा राज्य के प्रशासनिक तंत्र और जिले से तत्काल सम्पर्क स्थापित करेगा।
आयोग, अनुवीक्षण द्वारा तथा संबंधित प्राधिकरणों को अनुदेश जारी करके, निम्नलिखित सुनिश्चित करता है :-
- क्या सूचना प्राप्त होने पर अत्याचार की घटना के स्थान का जिले के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक द्वारा तुरन्त दौरा किया गया है
- क्या स्थानीय थाने में उचित प्राथमिकी पंजीकृत है ?
- क्या शिकायकर्त्ता द्वारा उल्लिखित सभी व्यक्तियों के नाम प्राथमिकी में शामिल किए गए हैं।
- क्या अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति(अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के उपबंधों के अनुसार एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी द्वारा अन्वेषण प्रारंभ किया गया है ?
- क्या दोषियों को समय गवाएं बिना गिरफ्तार किया गया है ?
- क्या न्यायालय में, नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 तथा अनुसूचित जाति और अनूसूचित जनजाति(अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के साथ भारतीय दण्ड संहिता की संगत धाराओं का उल्लेख करते हुए, उचित आरोप पत्र दाखिल किया गया हैं ?
- क्या विशेष न्यायालयों द्वारा मामले की न्यायिक जांच की जा रही है ?
- क्या इन मामलों को निपटाने के लिए विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किए गए हैं ?
- क्या पुलिस गवाहों को प्रस्तुत करने में न्यायालयों को सहायता प्रदान करती है तथा यह देखती है कि न्यायालयों द्वारा दोषियों को उचित सज़ा दी जाती है।
आयोग यह सुनिश्चित करने के लिए भी अनुवीक्षण करता है कि :-
- पीड़ितो को उचित चिकित्सा सहायता समय पर उपलब्ध कराई जाती है।
- ऐसी घटनाओं के पीड़ितों के लिए, पुलिस दल तैनात करके तथा गश्त आदि लगाकर, पुलिस सुरक्षा पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की जाती है।
- पीड़ितों को, विधि के उपबन्धों के अनुसार, उचित मुआवजा दिया जाता है।
- आयोग, जहां कहीं संभव होगा, मामले की गंभीरता तथा परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, प्रबन्धों का निरीक्षण करने विशेषकर अत्याचारों के पीड़ितों अथवा उनके परिवार के सदस्यों को आवश्यक सहायता देगा और पीड़ितों में आत्म विश्वास स्थापित करने के लिए घटना के स्थान का दौरा करेगा।
- आयोग सभी स्तरों पर ऐााó जांच और अनुवीक्षण करने के लिए विस्तृत प्रक्रिया का उल्लेख करता है। ऐा÷ जांच आयोग के सदस्यों या मुख्यालय से अन्वेषकों के दलों या आयोग के राज्य कार्यालयों द्वारा की जा सकती है।