एस.ओ.14175(ई)- संविधान के अनुच्छेद 338क के खण्ड 5 के उप-खण्ड (च) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, राष्ट्रपति अनुसूचित जनजातियों के लिए राष्ट्रीय आयोग के अन्य कृत्यों को विनिर्दिष्ट करने के लिए एतद्द्वारा निम्नलिखित नियम बनाते हैं, नामतः-
1.संक्षिप्त नाम एवं प्रारंभ :-
(1) इन नियमों का संक्षिप्त नाम राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (अन्य कृत्यों का विनिर्दिष्टीकरण) नियमावली, 2005 है।
(2) वे राजपत्र में उनके प्रकाशन की तारीख से प्रवृत्त होंगे।
2.आयोग अनुसूचित जनजातियों के संरक्षण, कल्याण, विकास तथा उन्नयन के संबंध में ऐा÷ निम्नलिखित अन्य कृत्यों का निर्वहन करेगा, नामत:-
(i) वन क्षेत्रों में रहने वाले अनुसूचित जनजातियों के लिए गौण वन उत्पाद के संबंध में स्वामित्व अधिकार प्रदान करने की आवश्यकता हेतु उपाय किए जाने चाहिए।
(ii) खनिज संसाधनों, जल संसाधनों आदि पर कानून के अनुसार जनजातीय समुदायों को सुरक्षण अधिकार प्रदान करने के उपाय करना।
(iii) जनजातियों के विकास के लिए और अधिक विकासक्षम जीविका संबंधी युक्तियों के कार्यान्वयन के लिए उपाय करना!
(iv) विकास परियोजनाओं द्वारा विस्थापित जनजातीय समूहों के लिए राहत एवं पुनर्वास उपायों की प्रभावोत्पादक्ता में सुधार करना।
(v) भूमि से जनजातीय लोगों के हस्तान्तरण को रोकने संबंधी उपाय करना और ऐा÷ व्यक्तियों को प्रभाव पूर्ण तरीके से पुनर्स्थापित करना जिनके मामले में हस्तान्तरण प्रक्रिया पहले ही हो चुकी है।
(vi) वनों का संरक्षण करने और सामाजिक वनरोपण का दायित्व लेने के लिए जनजाति समुदायों का अधिकतम सहयोग प्राप्त करने तथा उन्हें शामिल करने के लिए उपाय करना।
(vii) पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तारित) अधिनियम, 1996 (1996 का 40) के उपबंधों के सम्पूर्ण कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के उपाय करना।
(viii) जनजातीय व्यक्यों द्वारा सिफ्टिंग खेती की प्रथा को पूर्णतः समाप्त करने तथा कम करने के उपाय करना जिससे भूमि और पर्यावरण लगातार कमजोर एवं क्षय होता है।