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आयोग के कार्य

(अनुच्छेद 338  के  खण्ड (5) के अन्तर्गत)

1.    अनुसूचित जनजातियों के लिए इस संविधान या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि या सरकार के किसी आदेश के अधीन उपबंधित सुरक्षणों से संबंधित सभी विषयों का अन्वेषण और अनुवीक्षण करना तथा ऐा÷ सुरक्षणों के कार्यकरण का मूल्यांकन करना;

2.    अनुसूचित जनजातियां को उनके अधिकारों और सुरक्षणों से वंचित करने से संबंधित विशिष्ट शिकायतों की जांच करना;

3.    अनुसूचित जनजातियों के सामाजिक-आर्थिक विकास की योजना प्रक्रिया में भाग लेना और सलाह देना तथा संघ और किसी राज्य के अधीन उनके विकास की प्रगति का मूल्यांकन करना;

4.    अनुसूचित जनजातियों के कल्याण एवं सामाजार्थिक विकास से संबंधित कार्यक्रमों/स्कीमों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए अपेक्षित सुरक्षणों, उपायों के कार्यकरण के बारे में प्रतिवर्ष, और ऐा÷ अन्य समयों पर, जो आयोग ठीक समझे, राष्ट्रपति को प्रतिवेदन पेश करना;

5.    अनुसूचित जनजातियों के संबंध में अन्य कार्यों का निपटान करना जो राष्ट्रपति, संसद द्वारा बनाए गए किसी विधि के उपबंधो के अधीन रहते हुए, नियम द्वारा विनिर्दिष्ट करें;

6.    आयोग अनुसूचित जनजातियों के संरक्षण, कल्याण, विकास तथा उन्नयन के संबंध में ऐा÷ निम्नलिखित अन्य कृत्यों का निर्वहन करेगा, नामत :-

(i)    वन क्षेत्रों में रहने वाले अनुसूचित जनजातियों के लिए गौण वन उत्पाद के संबंध में स्वामित्व अधिकार प्रदान करने की आवश्यकता हेतु उपाय किए जाने चाहिए।

(ii)    खनिज संसाधनों, जल संसाधनों आदि पर कानून के अनुसार जनजातीय समुदायों को सुरक्षण अधिकार प्रदान करने के उपाय करना।

(iii)   जनजातियों के विकास के लिए और अधिक विकासक्षम जीविका संबंधी युक्तियों के कार्यान्वयन के लिए उपाय करना!

(iv)   विकास परियोजनाओं द्वारा विस्थापित जनजातीय समूहों के लिए राहत एवं पुनर्वास उपायों की प्रभावोत्पादक्ता में सुधार करना।         

(v)    भूमि से जनजातीय लोगों के हस्तान्तरण को रोकने संबंधी उपाय करना और ऐा÷ व्यक्तियों को प्रभाव पूर्ण तरीके से पुनर्स्थापित करना जिनके मामले में हस्तान्तरण प्रक्रिया पहले ही हो चुकी है।

(vi)   वनों का संरक्षण करने और सामाजिक वनरोपण का दायित्व लेने के लिए जनजाति समुदायों का अधिकतम सहयोग प्राप्त करने तथा उन्हें शामिल करने के लिए उपाय करना।

(vii)   पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तारित) अधिनियम, 1996 (1996 का 40) के उपबंधों के सम्पूर्ण कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के उपाय करना।

(viii)  जनजातीय व्यक्यों द्वारा सिफ्टिंग खेती की प्रथा को पूर्णतः समाप्त करने तथा कम करने के उपाय करना जिससे भूमि और पर्यावरण लगातार कमजोर एवं क्षय होता है।

(ix) राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के संदर्भ में विस्तारित शर्त्तों के बारे में जनजातीय कार्य मंत्रालय की दिनांक 23-08-2005 की अधिसूचना की प्रति। (23.5 किलोबाइट)

(x) राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के सुदृढ़ीकरण के लिए विस्तारित प्रस्ताव भेजते हुए मंत्रालय को दिनांक 21-10-2008 का राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग का पत्र। (76.0 किलोबाइट)

(xi) जनजातीय कार्य मंत्रालय को राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष का दिनांक 13-01-2011 का अ.शा0 पत्र। (71.3 किलोबाइट)

(xii) महत्वपूर्ण लम्बित मुद्दों पर की जाने वाली कार्रवाई के बारे में जनजातीय कार्य मंत्रालय को प्रधानमंत्री कार्यालय का दिनांक 24-05-2010 का अ.शा. पत्र। (23.5 किलोबाइट)

(xiii) राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के दक्ष कार्य निष्पादन में संलग्न महत्वपूर्ण मुद्दों को हल करने के लिए जनजातीय कार्य मंत्रालय को राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के उपाध्यक्ष का दिनांक 05-03-2010 को अ.शा. पत्र। (78.5 किलोबाइटp>

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