संवैधानिक बाध्यताओं एवं मुद्दों को ध्यान में रखते हुए जो अब, अनुसूचित जनजातियों के सम्पूर्ण विकास एवं उन्हें मुख्य धारा में लाने के लिए स्वतंत्रता की लगभग आधी सदी के बाद जटिल हो गये हैं, वर्तमान आयोग जो फरवरी, 2004 में गठित किया गया था ने अपने कार्यों को करने के लिए एक अत्यधिक तीव्र पहुंच अपनायी है। आयोग की बैठकें नियमित रूप से होती हैं और लिए गये निर्णयों के कार्यान्वयन की निगरानी की जाती है।
विकास स्कीमों के प्रभाव का मूल्यांकन एवं निगरानी करने के बारे में, आयोग ने मुख्य सचिवों और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ राज्य समीक्षा बैठकों के आयोजन तथा क्षेत्र स्तर दौरों के आयोजन के माध्यम से राज्यों/संघ शासित सरकारों के साथ वार्ता करने का निर्णय लिया है। आयोग महसूस करता है कि इन दौरों एवं बैठकों के परिणामस्वरूप, राज्य/संघ शासित सरकारें अनुसूचित जनजातियों की वास्तविक समस्याओं के प्रति अधिक सचेत हो जाएगी और सुधारात्मक उपायों को करने में आवश्यक पहल करेगी तथा उपयुक्त कार्य नीति अपनायेगी।
आयोग, अपने मुख्यालय एवं राज्य कार्यालयों के माध्यम से क्षेत्र स्तर जांच एवं अध्ययन भी आयोजित करता है। इस प्रक्रिया से तत्काल राहत सुनिश्चित करने की दृष्टि से नई ताकत मिली है, मुख्य रूप से उन मामलों में जो अनुसूचित जनजातियों पर अपराधों एवं अत्याचारों से संबंधित हैं और विकास संबंधी लाभों की मंजूरी से भी संबंधित हैं।
शिकायतों के अन्वेषण की प्रक्रिया, विशेष रूप से जो सेवा सुरक्षणों के उल्लंघन के संदर्भ में है, को वास्तविक मामलों में राहत प्रदान करने एवं मामलों के शीघ्र और तुरन्त निपटान को सुनिश्चित करने के लिए सुप्रभावी बनाया गया है। सुसंगत अभिलेखों सहित आयोग में अधिकारियों एवं संबंधित लाइजन अधिकारियों को बुला कर लम्बे समय से लम्बित मामलों को एक या दो बैठकों में निपटाया जा रहा है। आयोग ने जांच के दौरान उपस्थित होने एवं दस्तावेज प्रस्तुत करने में समन करने की सिविल न्यायालय की अपनी शक्तियों का प्रयोग भी किया है।
आयोग का मत है कि केवल सही योजना एवं विकास के लिए उपयुक्त स्कीमों के प्रभावी कार्यान्वयन के माध्यम से ही अनुसूचित जनजातियाँ, शेष जनसंख्या के स्तर तक पहुंचने की आशा कर सकती हैं एवं अपनी पूर्ण क्षमता को पहचान सकती हैं। आयोग ने इस प्रकार स्वयं को सक्रिय रूप से सम्बद्ध करके एवं राष्ट्रीय व राज्य स्तर पर योजना प्रक्रिया में भाग लेकर एक शुरूआत की है। योजना आयोग जनजातीय कार्य मंत्रालय और राज्य/संघशासित सरकारों के साथ नियमित पत्राचार किया जा रहा है। केन्द्रीय मंत्रालयों, राज्य और संघ शासित सरकारों की वार्षिक योजना का विश्लेषण आयोग में अपने राज्य कार्यालयों की मदद से किया जा रहा है।